डा. कलाम एवं नीतीश के सामने ही नालंदा में लोगों ने कर दिया था पथराव, आज भी है उसका अफसाेस
डॉ ए पी जे कलाम की जयंती पर विशेष नालंदा जिले के पिलखी के बाशिंदों की याद में आज भी जिंदा हैं कलाम साहब। नालंदा विवि के शिलान्यास के लिए पहुंचे डा. कलाम एवं सीएम नीतीश कुमार के सामने लोगों ने पथराव कर दिया था।
Patna:- Dr APJ Abdul Kalam Birth Anniversary: देश के दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम साहब की जयंती आज राष्ट्र श्रद्धा से मना रहा है। 15 अक्टूबर 1931 को उनका जन्म रामेश्वरम में हुआ था। नालंदा से भी उनकी यादें जुड़ी हैं। बतौर पूर्व राष्ट्र्र्र्रपति वे नालंदा अंतर्राष्ट्रीय विवि की बुनियाद रखने 08 फरवरी 2008 को नालंदा के राजगीर प्रखंड के पिलखी गांव आए थे। आरंभ में उनके कार्यक्रम में बवाल हो गया। लेकिन कलाम साहब ने लोगों से मिलकर उनका दिल जीत लिया।
कलाम साहब के सामने ही लोगों ने कर दिया था पथराव
दरअसल बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ वे यहां पहुंचे थे। अधिगृहित की गई सैकड़ों एकड़ जमीन और आसपास की प्राकृतिक छटा को उत्साह से निहार रहे थे। उनके साथ चल रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उन्हें अधिगृहीत की गयी जमीन की चौहद्दी बता रहे थे। इसी बीच पिलखी और आस पास के गांव के कुछ लोग नारेबाजी करने लगे। मौके का फायदा उठाकर कुछ उपद्रवी रोड़े चलाने लगे। जब तक कलाम कुछ समझ पाते, सुरक्षा के मद्देनजर उन्हें शिलान्यास स्थल पर बने अस्थायी काटेज में ले जाया गया। वे अवाक रह गए। मुख्यमंत्री खुद ग्रामीणों के बीच गए और उन्हें तसल्ली दी कि मुआवजे से जुड़ी उनकी हर शिकायत दूर की जाएगी। तब कहीं जाकर ग्रामीण शांत हुए।
कलाम साहब के साथ बर्ताव का आज भी दुख
इस अप्रत्याशित घटना से निपटकर जैसे ही मुख्यमंत्री कलाम साहब के पास पहुंचे उन्होंने पूछा, व्हाट हैपेंड, लोग पत्थर क्यों चला रहे हैं ? बताया सर जमीन अधिग्रहण के बदले मुआवजे की राशि को लेकर कुछ लोग असंतुष्ट हैं। कलाम साहब ने तत्काल नाराज़ ग्रामीणों से मिलने की इच्छा जाहिर की। चार ग्रामीणों का शिष्टमंडल उनसे मिलने पहुंचा। कलाम साहब ने बड़े प्यार से उनकी बातें सुनी। नालंदा विवि की स्थापना का महत्व समझाया। उन्होंने कहा कि भविष्य में आपके बच्चे भी यहां उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे। देश-दुनिया के छात्र यहां पढ़ने आएंगे। प्राचीन नालंदा विवि का गौरव वापस लौटेगा। जहां तक जमीन के मुआवजे का सवाल है तो वह भी आपको शीघ्र मिल जाएगा। इसके बाद लोग शांत हुए। ऐसा हुआ भी, कलाम साहब के लौटने के कुछ ही दिनों बाद स्थानीय प्रशासन ने कैम्प लगाकर सभी किसानों के बीच मुआवजे की रकम बांट दी। आज भी पिलखी वासियों को अफसोस है कि काश! उस दिन चलाये हर पत्थर फूल बन गए होते।
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