पिंक गैंग ,पिंक गश्ती दल और महिलाओं की आत्मसुरक्षा.......
शगुफ्ता शीरीन , पत्रकार रायपुर छत्तीसगढ़
Raipur:- यूं तो हिंदुस्तान में महिलाओं को देवी की तरह पूजनीय माना जाता है ।मगर उसका दुर्भाग्य है कि वह दहेज़ के लिए परिजनों से तो कभी रास्ता चलते हैवानों की बद नज़रों की भेट चढ जाती है। जलाई जाती है मारी जाती है या फिर घुट घुट कर जीने के लिए चारदीवारी के अंदर रहने मजबूर रहती है ।कारण जो भी हो घर के भीतर या बाहर लड़कियों, महिलाओ की सुरक्षा आज के दौर में सबसे अहम है।जिसने घरों की दरों दीवारों को हिला रखा है तो वहीं राजपाट भी छीन लिए गए है। निर्भया दामिनी या फिर कोई भी पीड़ित प्रताड़ित घरेलू महिला सब परिस्थिति को नियति मानकर भुगतती है । महिलाओं की संख्या इस वक़्त पुरुषों से ज्यादा है ये देश के हाल में किए गए सर्वे से ज़ाहिर हुआ है। मगर ये भी ज़मीनी हकीकत है कि आज हर पल देश की कोई न कोई महिला पुरुषों से प्रताड़ित है ।महिलाओं का गुलाबी रंग ही नहीं बल्कि सभी रंगों से नाता है लाल रंग हरा रंग सफेद रंग मुख्तलिफ मौकों पर पहने जाते है ।मगर गुलाबी रंग को छत्तीसगढ़ प्रदेश में खासतौर से जोड़कर देखा जा रहा है। हालाकि यहां के एक खास राजनीतिक दल का पहरावा भी गुलाबी है । महिलाओं की सुरक्षा घर के लोगो की सरदर्दी थी अब राष्ट्रीय मामला बन गया है ।
सरकारों की चिंता के बीच ,गुलाबी गश्त के जरिए लड़कियों को आत्मनिर्भर बनने के गुर बताने में छत्तीसगढ़ पुलिस ने हाल ही एक अभियान चलाया है। जिसके तहत महिला पुलिस अफसरों और कर्मचारियों की 15 टीमें रायपुर शहर में बनाई गई है जो लड़कियों पर फब्तियां कसने वालो को सरे राह सबक सिखा रही है। स्कूल,कॉलेज,रेलवे बस स्टेशनों में ये पिंक गश्ती दल पहुंच रहे है जो महिलाओ को लड़कियों को कराते के गुर सिखा रही हैं।अब पिंक गश्ती दल महिलाओ के लिए नीडर माहौल बनाने में कितने कामयाब होंगे ये तो समय ही बताएगा।लेकिन शराबियो को सबक सिखाने के लिए बनाए गए गुलाबी गैंग ने अपनी सफलता के खूब झंडे गाड़े है।एक समय था जब छत्तीसगढ़ में अहाता से निकले शराबी को अपने घर तक पहुंचने में गुलाबी गैंग का सामना करना पड़ता था ।उस गैंग में उसकी पत्नी भी होती थी जो शराब की लत छुड़ाने में पति से भिड़ जाती थी। इस गुलाबी अभियान ने शराब मुक्त अभियान को मजबूती दी। गांवो की कई शराब दुकानें बंद हुई कई परिवार उजड़ने से बचे और महिलाओ की जय जयकार हुई। महिलाओं को सेहतमंद बनाने के लिए एक पिंक दौड़ अभियान भी चलाया गया। इतने पर ही सरकार नहीं रुकी अब तो पिंक टॉयलेट भी बनाए गए है जिनका इस्तेमाल सिर्फ महिलाएं ही कर सकती है ।व्ही पिंक बस भी चलाई जाने वाली है जिसमें महिलाएं ही सफर कर सकती है । जब इतने प्रयास बाहर हो रहे तो महिलाओं को आत्मसुरक्षा और स्वावलंबन से भला कौन रोक सकता है ।हा खुद की इच्छा शक्ति को मजबूत बनाकर दुष्कर्मियों ,हैवानों और शैतानों से दो दो हाथ करने की जरूरत है ।फिर ये तो न कहे कि हम अबला नारी है । खासकर छत्तीसगढ़ में गुलाबी जाड़ों के बीच गुलाबी अभियानों ने एक नई फिजा तैयार की है । इनसे जुड़कर खुद की सुरक्षा खुद की ज़िम्मेदारी के मूल मंत्र को अख्तियार करने में ही भलाई है और शायद गुलाबी अभियानों का भी यही उद्देश्य भी है ।
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